"औषधीय और सुगंधित पौधे सभी के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए"
सेंटेल्ला एसियाटिका अधिकतम उपज वाली पौध किस्म भाकृअनुप-औषधीय एवं सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय पर अनुसंधान के पांच साल बाद पहचान की गई और "वल्लभ मेधा" नाम के साथ (वल्लभ भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में जिनका जन्म स्थान भाकृअनुप-औषधीय एवं सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय के पास के गाँव में हुआ था और मेधा (सेंटेल्ला एसियाटिका) स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए) 8-11 नवम्बर, 2010 के दौरान औषधीय एवं सगंधीय पादप और पान पर आयोजित 18 वींअखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना, महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी में राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह एक ही पौधा प्रतिरूप चयन है।"वल्लभ मेधा" सभी आकृति लक्षणों से संबन्धित आकार में बड़ा है और पत्तियों का क्षेत्रफल स्थानीय किस्म की तुलना में 4-5 गुना अधिक है। आरएपीडी मार्करों नई किस्म की भिन्नता के लिए भी पहचाने जाते हैं। “वल्लभ मेधा” में प्रकाश संश्लेषण की दर अधिक है और श्वसन की दर कम होती है। “वल्लभ मेधा” में ताजा और शुष्क पर्ण उपज 12331 एवं 2113 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है और सामान्य किस्म की तुलना में क्रमशः 392 और 2050 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है। “वल्लभ मेधा” में सक्रिय तत्व (एशियाटीकोसाइड, मेडकेशिक एसिड और एशिएटिक एसिड) भी अधिक मात्रा में मौजूद है। “वल्लभ मेधा” के विकास में वैज्ञानिक डॉ. सत्यब्रत माईति, डॉ. गीता के. ए., डॉ. ओ. पी. सिंह, डॉ. एन. ए. गजभिये, डॉ. संघमित्रा सामंतराय और श्री सारवनन राजू शामिल थे। रोपण सामग्री के लिए कृपया निम्न पते पर संपर्क करें:
भाकृअनुप-औषधीय और सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय, बोरीआवी, आणंद, गुजरात – 387 310 ईमेल: director.dmapr@gmail.com